रविवार, 25 अगस्त 2019

सब बाकी है अभी😁

"घोर कलयुग आ गया है बेटा, घोर कलयुग। सब के सब मतलबी हो गए हैं। इंसानियत जैसी तो कोई चीज बची ही नही।" अरे नही! ये मैं नही मानता। किसी के मुह से सुना था (अमा यार तभी तो quotes में डाल के लिखा है)।
किसी के मुहँ से ??? नही, सब के मुहँ से सुना है। आप भी तो बोलते होंगे ? आपकी भी तो शिकायतें होंगी, हैं ना आप भी परेशान किसी न किसी से? अगर जवाब हां है तो आगे पढ़ते रहिये और जवाब न है तो अभी के अभी इसे पढ़ना बन्द कर दीजिए।
लोग कहते हैं की इंसानियत खत्म हो गई है, मैं नही मानता, हाँ गिरावट आई है ये मानता हूँ। कई ऐसे हैं जो लोगों को सड़क पर मरता छोड़ देते हैं और कई ऐसे हैं जो उनको हस्पताल पहुंचाते हैं। जब घर मे बचा खाना हमारी माँ काम वाली को देती है तो कहती है की अपने बच्चों को खिला देना। आप अपने घर के बाहर कटोरे में पानी तो रखते होंगे उस अनजान चिड़िया के लिए। बस स्टैंड पर "fight with cancer" वाले डोनेशन बॉक्स में ₹10 तो गिराए होंगे न आपने, बिना सोचे समझे। आपने भी उसके बस में सो जाने पर उसके सर के पास हाथ रखा होगा ताकि उन्हें चोट न आये। ये वो तमाम ऐसे काम हैं जो मैं और आप करते हैं, बिना ये सोचे के हम इंसानियत बचा रहे हैं। असल मे हम कर वही रहे होते हैं। क्योंकि इन तमाम कामों के दरमियान हम किसी की शिकायत नही करते बल्कि मात्र वो काम करते हैं, जो जरूरी होता है। मुश्किलें हैं और होंगी भी मगर नज़रिया अलग होना चाहिए। इंसानियत बाकी है और फल फूल रही है, आप भी योगदान दे रहे हैं, इसके लिए मुबारक हो और अगर अब तक ऐसा कुछ नही किया जिस से किसी के चेहरे पे खुशी आई हो तो मियां अब भी देर नही हुई। अपनी खुशियों के साथ तो सब जी लेते हैं, दूसरों को खुशियां देने वाला बड़ा होता है।

सोमवार, 12 अगस्त 2019

इंतज़ार

मैं - अरे झा जी आज कितनी भर्तियां हुई है?
अखिलेश झा - अरे बेटा कैसे हो ? कैसे आना हुआ ?
मैं - बस ऐसे ही गुज़र रहा था तो सोचा मिलता चलूँ !
अखिलेश झा- आज का दिन बड़ा अच्छा है, कोई भर्ती नहीं हुआ है आज, बहुत खुश हूँ मैं तो आज। 
मैं - क्या बात है वाह !!!!
 

"अरे क्या कर रहे हो इधर ले आओ सामान, हाँ रखो यहाँ पे " (सूट बूट में एक नौजवान वृद्धा आश्रम में अपनी माँ को लिए आता है  )

अखिलेश झा- लीजिये रंजन साहब, हो गया दिन ख़राब, आ गया एक और बेटा जिसकी नौकरी विलायत में लगी होगी। (झा जी ने ये बात बड़ी खीज में आ के बोला था )

"यहाँ का इंचार्ज कौन है ?" (उस नौजवान ने पूछा)
मैं हूँ इंचार्ज ! अखिलेश झा।

ये सुनते है वो नौजवान, झा जी की तरफ बढ़ा और बोला
"झा जी इनको कुछ दिन के लिए यहाँ रखना है, जब इनका visa लग जायेगा तो इन्हें भी ले जाऊँगा अपने साथ, बस तब तक के लिए यहाँ रख लेते आप तो..... "
अखिलेश झा- जी बिलकुल ! हमारा तो काम ही यही है।  आप वहां जाइये और पेपर्स पर sign  कर दीजिये।

"इतनी जल्दी में आज तक कोई अपनी माँ को छोड़ने नहीं आया था।  ये व्यक्ति अलग ही किस्म की हड़बड़ाहट में था मनो उसे जल्दी से सब कुछ खत्म करना हो।  उसकी आँखों में न माँ को छोड़ जाने का गम था न ही विदेश की नौकरी की ख़ुशी। बस एक हड़बड़ाहट थी उसमे। "
झा जी ने मेरी और देखा और बड़ी व्यंग्यात्मक हसी वाली नज़रों से मानो ये बोला हो की देखो तुम्हारी नज़र लग गई।


मैंने भी हाथ बता दिया और नीरजा दीदी को (जो की अभी अभी आई थी) उनको उनका कमरा दिखा दिया और बाकि माँ जो अपनी विदेश वाले बच्चों का इंतज़ार कर रहे हैं उन से मिलवा भी दिया।

झा जी पिछले 23 साल से यहाँ के इंचार्ज हैं, अब तो ये जेब देख कर पैसे गिन लें, इतना ज्यादा इनका तज़ुर्बा है।

मैं वापस अपने घर जाने लगा था तभी झा जी ने आवाज़ लगाई।  आवाज़ डरावनी थी।  शयद किसी का इंतज़ार ख़तम हो गया, वो जो कल बीमार थी, लगता है आज.......
मैं जब पंहुचा तो मेरा शक सही निकला।
"ये आंखें आज भी खुली रह गई बेटे के वापस आने के इंतज़ार में" मगर शायद नियति को यही मंजूर हो।
हमने बहुत कोशिश की तब जा कर उनके बेटे को फ़ोन लगा जिसने ये कह के बात टाल दी की उसको छुट्टी नहीं मिलेगी।
मैंने  हतास नज़रों  से झा जी के तरफ देखा, वो गुस्से में थे।
मैंने कहा "कोई इतना कैसे गिर सकता है, जो माँ को आग देने भी नहीं आना चाहता" |
"ये पेड़ के सूखे हुए पत्ते हैं साहब, ये सिर्फ गिर सकते हैं "
झा जी की इन बातों में उनके बरसों का तजुर्बा नज़र आता है और जो छुपा हुआ है वो है गुस्सा।



न जाने हर रोज कितने ही माँ बाप अपने ही घरों से बेघर हो जाते हैं।  इस उम्मीद में की उनकी बच्चों की जिंदगी का सवाल है। "वो आँखें हर पल इसी इंतज़ार में रहती हैं की न जाने कब उसका बेटा आएगा और उनको वहां से निकाल कर ले जायेगा" मगर 100 लोगों में से सिर्फ 3 लोग ही घर जा पते हैं बाकी सब की जिंदगी इंतज़ार में ही ख़त्म हो जाती है।

कभी अगर वक़्त मिले तो सोचियेगा की आपके माता पिता ने आपके लिए कितना किया है, और जब कभी ऐसा ख्याल आए तो अपने आप को अपनी औकात दिखा दीजियेगा शायद हौसले कमजोर पड़ जाएँ आपके।