"घोर कलयुग आ गया है बेटा, घोर कलयुग। सब के सब मतलबी हो गए हैं। इंसानियत जैसी तो कोई चीज बची ही नही।" अरे नही! ये मैं नही मानता। किसी के मुह से सुना था (अमा यार तभी तो quotes में डाल के लिखा है)।
किसी के मुहँ से ??? नही, सब के मुहँ से सुना है। आप भी तो बोलते होंगे ? आपकी भी तो शिकायतें होंगी, हैं ना आप भी परेशान किसी न किसी से? अगर जवाब हां है तो आगे पढ़ते रहिये और जवाब न है तो अभी के अभी इसे पढ़ना बन्द कर दीजिए।
लोग कहते हैं की इंसानियत खत्म हो गई है, मैं नही मानता, हाँ गिरावट आई है ये मानता हूँ। कई ऐसे हैं जो लोगों को सड़क पर मरता छोड़ देते हैं और कई ऐसे हैं जो उनको हस्पताल पहुंचाते हैं। जब घर मे बचा खाना हमारी माँ काम वाली को देती है तो कहती है की अपने बच्चों को खिला देना। आप अपने घर के बाहर कटोरे में पानी तो रखते होंगे उस अनजान चिड़िया के लिए। बस स्टैंड पर "fight with cancer" वाले डोनेशन बॉक्स में ₹10 तो गिराए होंगे न आपने, बिना सोचे समझे। आपने भी उसके बस में सो जाने पर उसके सर के पास हाथ रखा होगा ताकि उन्हें चोट न आये। ये वो तमाम ऐसे काम हैं जो मैं और आप करते हैं, बिना ये सोचे के हम इंसानियत बचा रहे हैं। असल मे हम कर वही रहे होते हैं। क्योंकि इन तमाम कामों के दरमियान हम किसी की शिकायत नही करते बल्कि मात्र वो काम करते हैं, जो जरूरी होता है। मुश्किलें हैं और होंगी भी मगर नज़रिया अलग होना चाहिए। इंसानियत बाकी है और फल फूल रही है, आप भी योगदान दे रहे हैं, इसके लिए मुबारक हो और अगर अब तक ऐसा कुछ नही किया जिस से किसी के चेहरे पे खुशी आई हो तो मियां अब भी देर नही हुई। अपनी खुशियों के साथ तो सब जी लेते हैं, दूसरों को खुशियां देने वाला बड़ा होता है।
bahut khoob bhai👍👍
जवाब देंहटाएंWaah bdhiya 🔥🔥
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