सफर जिंदगी का, कब शुरू हुआ ये तो याद नहीं होगा आपको और कब खत्म हो जाये इसका भी अंदाजा नहीं होता हमें | हम तो बस अपना किरदार जी लेते हैं, कभी वो किरदार इतने बेहतरीन होते हैं के लोग उसे भूल नहीं पते और कभी कभार किरदार इतने साधारण, के लोगों को याद ही नहीं रहता |
पिछले दिनों घर जाने के रस्ते जब मैं train में सफर कर रहा था तभी रस्ते में मेरे दोस्त ने मुझसे कहा के देखो इसको कहते हैं "अस्सी घाट" | अस्सी घाट एक घाट है जो के गंगा मैया के किनारे पे बना है, और ये उत्तर प्रदेश के वारणशी में है, वही उत्तर प्रदेश जहाँ जगहों के नाम बदले जा रहे हैं इनदिनों |
अस्सी घाट!! जिंदगी को करीब से समझने के लिए शयद सबसे मुनासिफ जगह है| जहाँ एक तरफ धधकते आग में बेरूह हो चुके कुछ लाश जल रहे होते हैं, वहीँ दूसरी तरफ हर शाम गंगा आरती हो रही होती है, कुछ रुकता नहीं है | हाँ किसी के न रहने का दुःख तो होता है लेकिन तभी तक जब तक उसका कोई विकल्प ना मिल जाये | जिंदगी भी तो अस्सी घाट जैसी ही है जहाँ हमेशा सुख और दुःख नदी के दो किनारों पर एक साथ चलते रहते हैं |
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