दिशा दीप्त हो उठी प्राप्त कर पुण्य-प्रकाश तुम्हारा
लिखा जा चुका अनल-अक्षरों में इतिहास तुम्हारा
जिस मिट्टी ने लहू पिया, वह फूल खिलाएगी ही
अम्बर पर घन बन छाएगा ही उच्छवास तुम्हारा
और अधिक ले जाँच, देवता इतना क्रूर नहीं है
थककर बैठ गये क्या भाई? मंज़िल दूर नहीं है |
-रामधारी सिंह दिनकर
इस अंक को पढ़ने से पहले "अंतर " को पढ़िए |
मैंने पहले भी कहा था के संघर्षशील व्यक्ति अगर सफल होना चाहता है तो उसे परिणाम का नहीं सोचना चाहिए | अगर कुछ सोचना ही है तो ये सोचना चाहिए के सफल होना कैसे है ?
1) जिज्ञासा (curiosity)-
अगर आप के अंदर ये गुण है तो इस गुण में खुद को सिद्ध कर लीजिये क्यूंकि उत्सुकता अगर है तो कोई भी चीज सीखना मुश्किल नहीं हो सकता चाहे उम्र कोई भी हो | हमारी हिन्दू संस्कृति मे उत्सुकता को बहुत बड़ा महत्वा दिया गया है | हमने देखा है के अर्जुन कितना उत्सुक था वो सब जानने के लिए जिससे वो भयभीत था, और साथ ही साथ श्री कृष्णा जो उत्तर देने में पारंगत थे | एक भयभीत इंसान की "जिज्ञासा" और उसका सवाल करना और तो और स्वयं भगवन का उत्तर देना बताता है के उत्सुकता में कितनी शक्ति है | अगर देखा जाये तो पौराणिक कथाओं में नचिकेता सब से जयादा उत्सुक बालक था जिसे स्वयं यमराज ने ज्ञान दिया और वापिस पृथ्वी पर भेजा था |
लेकिन सिर्फ उत्सुक हो जाना सफलता की कुंजी नहीं है, उस उत्सुकता से पूछे गए सवाल का उत्तर ढूंढ़ने की आपकी भूख आपको सफल बनाएगी |
2) धैर्य (patience)-
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।
हमारी सबसे बड़ी समस्या, के हम धैयरवान नहीं हैं | जरा जरा सी हार पर थक कर बैठ जाते हैं | अटल जी की ये कविता मुझे प्रेरणा देती है डटे रहने की | हम सब सामान्य मनुष्य हैं और विचिलित होना हमारा स्वभाव है परन्तु इस स्वभाव का बुरा प्रभाव ना पड़े हमें अपने आपको धैयरवान बनाना होगा, और खुद को धैयरवान बनाना खुद के ऊपर है|
3) नेतृत्वा (Leadership)-
नेतृत्य की छमता हर किसी में नहीं होती, और बिना नेतृत्वा के सफलता मिल पाना उतना ही मुश्किल है जितना के नदी का उल्टा बहना | कुछ लोग तो ये भी कहते हैं के नेतृत्वा की छमता को विकसित भी नहीं किया जा सकता परन्तु मैं इससे सहमत नहीं हूँ मेरा मानना है के अगर आप चाहें और आपको मौका मिले तो आप भी एक अच्छे अग्रलेख बन सकते हैं |
ये 3 कुंजियाँ अगर आपके हाथों में हैं तो सफलता के द्वार पर लगा विशाल सा दिखने वाला वह ताला आसानी से खुल सकता है |
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