रविवार, 2 सितंबर 2018

मेरे हीरो

हीरो !!! एक ऐसा शब्द जिसको सुनते ही हमारे मस्तिष्क में अलग अलग व्यक्तियों के चेहरे सामने आने लगते हैं, कभी सलमान कभी अक्षय,लेकिन एक नाम है, जो मैं और आप भूल जाते हैं | आज किसी बच्चे को उठा कर पूछ लो के बेटा तुम्हारा हीरो कौन है ? तो वो पक्का कहेगा के सलमान है या आमिर है, या  किसी और actor का नाम ले लेगा | अगर पूछो के वो इतना पसंद क्यों है तो पता है वो बच्चे जवाब क्या देते हैं ? कहते हैं के "देखा नहीं कभी कैसे अक्षय कुमार एक साथ 10 गुंडों से लड़ता है, नहीं देखा क सलमान कितनी अच्छी गीत गाता है"| ये विडम्बना है हमारी के हम हीरो उसे मानते हैं जो असल में हीरो है ही नहीं, वो तो मात्र एक अभिनेता है मात्र ACTOR है जो पैसों के लिए कैमरे के सामने ये सब करता है, कभी गीत सुनता है कभी गुंडों को मारता है, परन्तु इन सब में एक इंसान छूट जाता है जो के सच्चे माएनों में हीरो है, मेरे और आप सब के "पापा" ! आपका तो पता नहीं पर मेरे हीरो जरूर हैं मेरे पिता जी | हाँ भले ही गाना अच्छा ना गाते हों, भले गुंडों से लड़ते ना हों भले ही छोटी छोटी बातों पे डर जाते हों पर मेरे हीरो मेरे पापा ही हैं |
क्यूंकि जब भी मैं परेशां हुआ हूँ, जब भी कोई निर्णय लेने में असमर्थ हुआ हूँ, पापा ने बड़ी मीठी आवाज़ में समझाया और रह दिखाई है | गुंडों से तो भिड़ते नहीं देखा पर मेरे लिए पुरे ज़माने से लड़ते देखा है उनको, और हाँ मुझ तक अपनी एक घाव तक का जीकर पहुँचने नहीं दिया | मेरे पापा थोड़े डरपोक हैं, मुझ से कहते हैं के नई जगह है किसी से लड़ाई मत करना, वो डरते हैं के वो नहीं होंगे तो शायद कुछ गड़बड़ न हो जाये | मेरे खर्चों का हिसाब लेते हैं, मेरी बेतुकी मांगों पर फटकार भी लगते हैं | जैसा हीरो करता हैं न फिल्मों में बिकुल वैसे ही वो मेरा ध्यान रखते हैं |  फिल्मों के हीरो और मेरे पापा में एक अन्तर है के फिल्मों में हीरो कभी हारता नहीं है, पर मेरे पापा हारते हैं ताकि उनके बच्चे खुश हो जाएँ और बच्चों से हार कर भी वो खुद को जीता हुआ मानते हैं |

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