रविवार, 5 जनवरी 2020

बस कहने की माँ

आपलोग को याद रहा होगा मुद्दा "बीफ" का, काफी चर्चा का विषय था किसी वक़्त । जब किसी चीज के बारे में बोला जाता है तो उसके पीछे ज़िम्मेदारियाँ भी तो आती है, सिर्फ विरोध करना ही सबकुछ नही होता। जब माँ बोलते हो तो क्या माँ को आवारा घूमने छोड़ दोगे? क्या जिस माँ ने आपको जन्म दिया है, उनको सड़क पर गंदगी खाने दोगे? माँ बोलते हो तो क्या माँ समझ कर उसके लिए कभी सोचा है? सर्दियों में ठिठुरती हुई लाचार माँ, गर्मी में प्यासी, नाले का पानी पीने के लिए मज़बूर......
हमारी माँ(biological mother) जो की हमें पालती है, इस उम्मीद में की हम बड़े हो कर उनका ध्यान रखेंगे, लेकिन इस माँ (गौ माता) को तो सिर्फ छत और खाने को कुछ घास पत्ते ही चाहिए, अगर हम वो नही करें तो इस माँ के लिए तो उतने आश्रम भी नही है। बेचारी सड़क किनारे प्लास्टिक खाते खाते किसी दिन दुनियां को छोड़ देती है। क्या एक बार भी किसी ने सोचा है? जब वही प्लास्टिक उसके शरीर को नुकसान पहुंचाता है,"बीमार लाचार माँ", लेकिन अगर बीफ (गौ मांस) दिख जाए तो आसमान सर पे उठा लेते हैं, कोई आदमी गोश्त ले जाये और उस गोश्त को बीफ समझने मात्र से ही हंगामा कर देते हैं, इसलिये नही की माँ का ख़्याल आया बल्कि इसलिये की किसी के वर्चस्व को ललकारा है किसी ने! किसी के खाने पीने की आज़ादी को छीनना सिर्फ अपने घमंड के पूर्त्ति के लिए! क्या यही माँ के लिए कर्तव्य है? आजकल NH पे गायों का, और गायों के कारण दुर्घटना आम हो गई है, कोई देखने वाला नही है, उनकी ये हालत को, और न सिर्फ गायें और भी बाकी जानवरों का। पहले तो इन जानवरों से उनका घर, जंगल छीन लेते हैं और जब वो सड़क पे दिख जाए तो High Speed गाड़ियां उनको कुचल देती है, और हाँ कोई मेडिकल टीम भी नही है उनके लिए, फर्स्ट ऐड या उनका बचाने के लिए। जानवरों के लिए हमारे कुछ जिम्मेदारियां हैं। कही पंछी मर रहे हैं मोबाइल रेडिएशन से, कहीं कोई और....  क्या यही है सतत विकास (sustainable development)?? 

सनातन धर्म मे तो वसुधैव कुटुम्बकम का सिद्धांत है, गरुड़ पुराण के अनुसार मारने के बाद वैतरणी नदी को गाय के पूंछ पकड़ कर ही पार किया जाता है, न सिर्फ जीते जी बल्कि मारने के बाद बजी गाय हमारे काम आती है। हम गाय को पूजते हैं क्योंकि इसमे सभी देवी देवता निवास करते है, पक्षियों को पूजते हैं तो रक्षा करना हमारा धर्म भी है। कबतक हम सरकारों को इनसब का दोष देते रहेंगे? देखा गया है गाय, भैंस या कोई भी जानवर का वध कभी क़ानून ने नही रुकी है। जब इस देश का हर एक नागरिक सोच ले कि ये जीव जंतु हमारी ज़िम्मेदारी है, तो शायद इनकी हालत सुधार जाए।


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