…….तुम्हें न भागने की बड़ी जल्दी रहती है, जब भी देखो चलो बाय…… बस अब बहुत देर हो गई है, समय तो देखो…….क्या तुम्हे इन घूरती निगाहों से दिक्कत है?, देखो तो मैं एक लड़की होकर भी कितनी सुलझी हुई हूं, और तुम लड़के होकर भी डरते हो……तुम्हे क्या पता इन बाहों में कितना सुकून है। जी करता है बस हर एक लम्हों को कैद कर लूं और बेहतर तो ये होता कि ये ऐसे ही ठहरी रह जाती।….
ये जो तेरे आंखों में जो प्यार है बाहर आने क्यों नहीं देते तुम। चारो और देखो तो जरा, सभी प्यार को मुकम्मल करने में लगे हैं। इन गंगा और यमुना के मिलन को देखो, कितना रोमांच है इनके समागम में। दूर से आए इन पंछी को देखो, जरा भी अपनों से दूर नहीं होते, देखो कैसे ये चोंच में चोंच डालकर अपने प्यार का इजहार कर रहे हैं। कितना मनोरम दृश्य है और तुम चुप्पी साधे हुए हो। देखो ना अब तो सूर्य भी झितिज पर आ गया है, वो हमारे प्रेम के दृश्य को और भी खूबसूरत बना रहा। ढलते साम के साथ ठंड भी बढ़ रही है, कहीं खुद को मुझसे दूर मत कर लेना तुम, तुम्हारी बदन कि गर्मी ही बस मुझे यहां रुकने को कह रही है। तुम शांत हो, पता नहीं डरते क्यों हो। इन प्यार के लम्हों को जीने तो दो मुझे , क्योंकि ये पल ही मेरी ज़िन्दगी की धरोहर है।………
…..चुप नहीं बैठा हूं मैं, बस तुम्हारे बातों में हर लम्हों को जी रहा हूं।
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