सोमवार, 9 जुलाई 2018

हिन्दू, हिंदुत्व और हिंदुस्तान

हिन्दू, हिदुत्व और हिंदुस्तान के बीच कुछ कमज़र्फ लोग हैं जो एक रिश्ता कायम करना चाहते हैं, जो हर छोटी- बड़ी बातों पर देश की जनता को जाती के नाम का खिलौना पकड़ा देते हैं । हाँ ताकि उनके गीले बिस्तर कोई न देख ले। Rape  हुए तो खबर आएगी के मुसलमान बच्ची के साथ  बलात्कार हुआ, किसी की हत्या कर दी गई तो शोर होगा कि हिन्दू भीड़ ने एक मुसलमान को मार दिया या फिर कुछ मुसलमानों ने हिन्दू को मार दिया।
घ्रणा और शर्म के सिवाए और कुछ नही सुझता मुझे । कल शाम एक पड़ोस के बच्चे से कुछ बात कर रहा था वो बच्चा करीब 8 साल का है और कक्षा 3 में पढ़ता है, उसके मुंह पे sketch pen का निसान था तो मैंने पूछा कि ये क्या है उस बच्चे ने कहा मेरे दोस्त ने लगा दिया, मैंने दोस्त का नाम पूछा तो उसका जवाब सुनने लायक था उसने कहा " वो मुस्लिम है उसका नाम अयूब है । मैं डर गया ये सुनकर, मैंने फ़िर पूछा कि तुम्हें कैसे पता के वो मुस्लिम है तो उसने कहा कि उसके नाम से ही पता लग गया । ह्म्म्म! एक 8 साल का बच्चा जिसको जाती और धर्म नही पता वो नाम से कह देता है कि कौन हिन्दू है और कौन मुसलमान। जिसको 17 का पहाड़ा याद नही होता वो अपने दोस्त हिन्दू और मुस्लिम देख कर बनाता है।
मैंने उस बच्चे को उसके जन्म से देखा है, इसलिए मैं उसके जवाब से डर गया, लेकिन गलती उसकी नही है, गलती है हमारी जो हमने ऐसा वातावरण बना रखा है। आज कभी भी भारत के No. 1 तथाकथित न्यूज़ चैनल पूरे दिन इसी पर बहस करते रहते हैं और तो और सारे मूर्ख लोग बड़े चाव से शो देखते हैं,
वो जो ये कहते हैं कि हिंदुस्तान हिंदुओं का है, उनकी बात सही है लेकिन क्या हम ये भूल जाएं के जितना खून हिन्दुयों ने स्वतन्त्रता में बहाया उतना ही मुसलमानों ने भी बहाया । जेल अगर असफाकउल्लाह गए तो उनके जाने के गम में रामप्रसाद बिस्मिल भी खूब रोए । हम आज एक स्वतंत्र लोगतांत्रिक देश में रहते हैं जिसको सब ने मिल कर आज़ाद किया तो रहने का हक़ भी सब का है, अब ये बात और है कि कुछ खाली बर्तन आपस मे टकराकर शोर तो जरूर करेंगे। लेकिन आप सब को सावधान करता हूँ, उन से सावधान रहें जो किसी धर्म की रक्षा के लिए किसी का बुरा करे। मैं ये सब इसलिए नही लिख रहा के मैं एक हिन्दू हूँ, या फिर मुसलमानों का हिमायती होना चाहता हूँ, बस इसलिए लिख रहा हूँ क्योंकि चोट पहुचती है उस दिल मे जो अपने आपको हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई से कहीं ऊपर एक हिंदुस्तानी समझता है।




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