मेरे जन्म के तकरीबन एक साल बाद, हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल बन गया था। खेर ये कोई नही बात नहीं थी। भारत और पाकिस्तान के बीच अक्सर ऐसा ही माहौल रहता है। लेकिन अबकी बार पाकिस्तान ने हद पार कर दी थी, उसने कारगिल पर अपना अनैतिक कब्जा जमा लिया था। उसमें सिर्फ पाकिस्तानी फौज नहीं थे, बल्कि पाकिस्तान में पले और बढ़े सिरफिरे आतंकी भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, और भारतीय सैनिकों में भारी गुस्सा, और इन दोनों के संयोग से लिया गया एक निर्णय, के भारत कारगिल से इन पाकिस्तानियों को खदेड़ देगा। भारतीय सैनिक के पास हो सकता है के तकनीक पुराने हों, पर उत्साह और देश पर मार मिटने का जज्बा इसे बहुत मजबूत बना देती है। इधर मेरी माँ मेरा ख्याल रख रही थी और उधर हमारे सैनिक निकल पड़े थे भारत माँ की अस्मिता बचाने।
युद्ध शुरू हो चुका था, हमारी पकड़ मजबूत होती जा रही थी, और दुश्मनों का हौसला कमजोर। हम लड़ रहे थे, और बड़ी मजूबती से डटे थे। लेकिन हर सुबह सामना होता था एक बुरी खबर से, "आज फिर कुछ जवान शहीद हुए"। उधर देश के वीर जवान लड़ रहे थे, और इधर उनके परिवार वाले बस उनके लौटने का इन्तेजार।
"या तो तिरंगा फहरा के आऊंगा या तिरंगे में लिपट के आऊंगा, लेकिन मैं आऊंगा जरूर"
कुछ ऐसी भावनायों के साथ पूरा देश लड़ रहा था दुश्मनो से। लेकिन तभी फिर कुछ दिन बाद 26 जुलाई 1999 को खबर आई के भारत ने कारगिल पे तिरंगा लहरा दिया है। मेरी उम्र तकरीबन 1 साल कुछ महीने रही होगी, और मुझे उस वक़्त इन सब से कोई फर्क नही पड़ रहा था, और न कोई मेरे घर से कारगिल लड़ा या शहीद हुआ, लेकिन आज भी जब कारगिल की कहानी सुनता हूँ तो सोचने पे मजबूर हो जाता हूँ कि आखिर कहां से लाते हैं हमारे सैनिक इतना सारा जज्बा इतना जुनून। मैं माँ से बात किये बगैर नही रह सकता और वो अपनी माँ अपने बच्चों को छोड़ अपनी जान की बाजी लगाने निकल पड़ते हैं। मुझे याद है मेरे माँ अक्सर मैथिली में एक गाना गाया करती थी,
"कारगिल सीमा मई पर द देलके जान हो...
धन्य धन्य भारत माँ के सुपुत्र जवान हो...."
आज भी जब इन दो पंक्तियों को गाता हूँ या याद करता हूँ तो आंखे नाम हो जाती है। चलिये आज सब मिल के उस जज्बे को सलाम करते हैं जिसने हमे आज तक दुश्मनों से बचा के रखा है।
Awesome
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जवाब देंहटाएंjai hind
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंNyc
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